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क्या हिंदी सम्मानजनक भाषा के रूप में मुख्य धारा में लाई जा सकती है? अगर हां, तो किस प्रकार? अगर नहीं, तो क्यों नहीं? Contest

Ek Aawaaj
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हमारी राष्ट्रभाषा – हिन्दी

हिन्दी भाषा का उदभव संस्कृत से हुआ है । हिन्दी भाषा को संस्कृत की बड़ी बेटी की संज्ञा दी गई है । हिन्दी भाषा बोलने , लिखने , पढ़ने में अत्यंत ही सरल होती है । हमारी हिन्दी में आत्मसात करने की अद्भुत प्रवत्ति है , संसार के लगभग सभी भाषाओं के शब्द इसमें आसानी से घुल मिल सकते हैं । और संसार की कई भाषाओं के कुछ शब्द हिन्दी भाषा से ही लिये गये हैं जैसे कि अंग्रेजी भाषा का शब्द Trigonometry, ’त्रिकोणमिति’ शब्द से लिया गया है । इसी तरह और भी कई भाषाओं के शब्द हैं । भारत के कई तीर्थ-स्थल हैं जहाँ पर पूरे विश्व से लोग आते हैं और हिन्दी सीखकर प्रवचन सुनते हैं व अन्य धार्मिक कार्य करते हैं , और कई तो यहीं पर बस जाते हैं । मथुरा , बृन्दावन और बनारस में इस तरह के कई उदाहरण आपको मिल जायेंगे । हमारी हिन्दी भाषा का साहित्य अत्यंत ही विशाल है और यह विश्व के कयी विश्व-विद्यालयों में पढ़ाई जाती है ।

स्वतंत्र होने से पहले अंग्रेजो ने सारा कार्य अंग्रेजी भाषा में किया परंतु हमारे स्वतंत्रता-संग्राम सेनानियों ने भारत की एकता और अखण्डता के लिये सदैव हिन्दी का समर्थन किया । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात हिन्दी भाषा को राष्ट्र – भाषा का गौरव प्रदान किया गया । राष्ट्र – भाषा अर्थात जिसका प्रयोग संपूर्ण राष्ट्र के लोग करें । परंतु क्या आज हिन्दी भाषा का प्रयोग सबके द्वारा उतने ही सम्मान और व्यापक रूप से किया जा रहा है ? सच तो यह है कि – ’नही’ ।

आज हम सब एक विदेशी भाषा – ’अंग्रेजी’ का प्रयोग इस तरह से कर रहे हैं कि उसकी वजह से हमारी हिन्दी सिसकियाँ लेती नजर आती है । हमारे समाज में हिन्दी भाषा का प्रयोग करने वालों को निम्न दृस्टि से देखा जाता है । अरे लिखित रूप को तो छोड़िये , बोलने मे भी हम अंग्रेजी का प्रयोग करते हैं और खुद को ’हाई सोसाइटी’ का समझते हैं । अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में हिन्दी विषय को ’वैकल्पिक – विषय’ की श्रेणी में डाल दिया गया है । बच्चों को हिन्दी की जगह दूसरी भाषा पढ़वाई जाती है जैसे कि – फ़्रेंच, स्पेनिश, जर्मन व अन्य कोई । हम अगर हिन्दी में कुछ बोलते भी हैं तो उसमे अंग्रेजी का मिश्रण होता है जैसे – ’यार कल एक फ़्रेंड की मैरिज पार्टी में जाना है । अंग्रेजी मे बोलने वालो को बहुत सम्मान दिया जाता है । ऐसे ही कई उदाहरण हैं जो हिन्दी के सीने मे लगे घावों को दर्शाते है ।

क्या हो रहा है ये सब ? हम जिस राष्ट्र में रहते हैं उसी की भाषा का सम्मान करने मे शर्म ? हम अपनी राष्ट्र – भाषा का सम्मान नही कर सकते तो अन्य चीजों का क्या करेंगे ? हम जितनी आव-भगत एक विदेशी भाषा की कर रहे हैं क्या वही व्यवहार विदेशों मे हिन्दी के साथ हो रहा है ? किसी विदेशी भाषा को सीखना गलत नही है परंतु उसको अपनी भाषा से ज्यादा प्राथमिकता देना ठीक बात नही । जब हम अपनी हिन्दी का सम्मान करेंगे तब ही अपने भारत को प्रस्तुत कर पायेंगे । हिन्दी भाषा का प्रयोग करने पर हमे गौरव महसूस करना चाहिये क्युकि हमारी भाषा ही हमारे अस्तित्व का प्रतीक है । विश्व कितने ही विद्वान हैं जो हिन्दी भाषा में लिखे ग्रंथो का अध्ययन करके निर्णय एवं कार्य करते हैं ।

हमने भारत भूमि मे जन्म लिया है और ये हमारा कर्तव्य है कि हम हिन्दी के विकास और उत्थान पर बल दें । याद रखिये कि जब तक हम नही चाहेंगे तब तक हिन्दी का विकास नही होगा । जितना अधिक से अधिक हो सके हिन्दी का प्रयोग बोलने और लिखने में करें । बच्चों को हिन्दी की किताबें जरूर पढ़वायें । हिन्दी भाषा बोलने वालों का सम्मान करें और प्रोत्साहित करें । हिन्दी भाषा का विकास करके सभी को एकता – सूत्र में बाँधने का प्रयत्न करें और हिन्दी का गौरव बनाये रखें । तभी हमारी हिन्दी  वास्तविकता में राष्ट्र – भाषा बन पायेगी ।

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